बसंत पंचमी | सरस्वती पूजा शुभ मुहूर्त, मंत्र और पूजा विधि | Basant Panchami 2024
मुहूर्त
- तारीख – 14 फरवरी 2024
- शुरू होने का समय- 13 फरवरी दोपहर 02: 41 मिनट
- समाप्त होने का समय 14 फरवरी दोपहर 12:10 मिनट
- पूजन महुर्त्त 14 फरवरी सुबह 10:30 से 01:30 तक
मंत्र
मां सरस्वती मंत्र
ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।।
कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्।
वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकमधारिणीम्।।
रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्।
सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:।।वन्दे भक्तया वन्दिता च ।।
सरस्वती वंदना
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥२॥
सरस्वती पूजा विधि
वसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा की जाती है मां सरस्वती को विद्या की देवी भी कहा जाता है और हिंदू धर्म के अनुसार विद्या की देवी सरस्वती जी है। इसलिए सरस्वती जी के साथ साथ विद्यार्थी लोग अपनी पुस्तक की भी पूजा करते हैं इसके साथ ही वाद्य यंत्र की पूजा भी की जाती है चलिए जानते हैं सरस्वती जी का पूजा कैसे की जाती है।
सरस्वती पूजा की शुरुआत करने से पहले अपने पूजा स्थल को साफ सुथरा और स्वच्छ कर ले और मां सरस्वती की एक सुंदर प्रतिमा और एक कलश को स्थापित करें।
सर्वप्रथम गणेश जी की स्तुति करते हुए नौ ग्रह की भी पूजा करनी चाहिए इसके पश्चात ही मां सरस्वती की पूजा को प्रारंभ करना चाहिए विद्या की देवी पीला रंग अत्याधिक प्रिय इसलिए पूजन सामग्री में पीली मिठाईयां और पीले फूलों का प्रयोग अवश्य करें।
पूजा स्थल पर यदि आप विद्यार्थी हैं या गायक हैं तो पुस्तक और वाद्य यंत्र को रखना ना सरस्वती जी का मंत्र का जाप करें।
बसंत पंचमी पूजा कीट यहां पर देखे
बसंत पंचमी कब,क्यों और कैसे मनाई जाती है
बसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है
हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं के अनुसार एक कथा प्रचलित है कहा जाता है कि जब ब्रह्मा जी ने इस सृष्टि का निर्माण किया उन्होंने पेड़ पक्षी नदी यदि आप का निर्माण किया परंतु वह सभी स्वर विहीन थे जिसके कारण इन सभी वस्तुओं में ब्रह्मा जी को कुछ कमी का अनुभव हो रहा था
तब ब्रह्मा जी ने मंत्र उच्चारण करते हुए अपने कमंडल से जल को अभिमंत्रित करते हुए जल को छिलका और एक सुंदर कन्या प्रकट हो गई इस कन्या के चार हाथ थे इसके एक हाथ में पुस्तक थी एक हाथ में वीणा थी एक हाथ में माला थी और एक हाथ वर मुद्रा में था।
इस कन्या को देखकर ब्रह्मा जी ने उसकी हाथ में उपस्थित वीणा को बजाने के लिए कहा उस कन्या ने जैसे ही वीणा को बजाया वैसे ही ब्रह्मा जी द्वारा निर्मित संसार की समस्त सजीव वस्तुओं में स्वर का आवाहन हो गया।
पंछी चहकने लगे, वायु से सरसराने की आवाज आने लगी, नदियों में कलकलाहट और बिजली भी कड़कडाहट उत्पन्न हो हुआ यह सब देख कर ब्रह्मा जी अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने इस कन्या को सुर की देवी कहा और सरस्वती नाम संबोधित किया। और तभी से माता सरस्वती को सूर और ज्ञान की देवी कहा जाने लगा।
बसंत पंचमी कब मनाई जाती है
भारतवर्ष में बसंत पंचमी ( सरस्वती पूजा ) का त्यौहार भारतीय हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। यह प्राकृतिक का वह समय होता है जिसमें ना तो अधिक ठंडी होती है और ना ही अधिक गर्मी होती है मौसम एकदम सुहाना रहता है। वृक्षों में चारों तरफ हरियाली और पुष्प खिले हुए होते हैं।
जिसे देखकर एक अद्भुत अनुभव का एहसास होता है और प्राकृतिक सुंदरता को देख ले का सही अवसर हमें बसंत ऋतु में ही प्राप्त होता है इसलिए बसंत ऋतु को ऋतुराज भी कहा जाता है।
वसंत पंचमी कैसे मनाया जाती हैं? (Vasant Panchami Celebration)
बसंत पंचमी का त्यौहार भारतवर्ष में बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है यह त्यौहार ऋतु परिवर्तन का त्यौहार बसंत ऋतु को ऋत का राजा भी कहा जाता है भारत में यह त्यौहार विभिन्न राज्यों मैं भिन्न-भिन्न तरीकों से मनाया जाता है।
- बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा की माता सरस्वती की पूजा की जाती है।
- यह विद्या और संगीत की देवी सरस्वती का त्यौहार था इसलिए वाद्य यंत्र और पुस्तकों की भी पूजा की जाती है।
- इस दिन लोग पीला वस्त्र धारण करते हैं।
- मां सरस्वती को पीले पुष्प और मिठाईयों का भोग लगाया जाता है।
- इस शुभ दिन पर कई राज्यों में स्थानीय स्तर पर मेले का आयोजन भी किया जाता है जिससे लोग बहुत आनंदित होते हैं।
- बसंत पंचमी के दिन दान देने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
- बसंत ऋतु पर कई स्थानों पर शाही स्नान का आयोजन किया जाता है जैसे कि प्रयागराज काशी बनारस आज जगह पर शाही स्नान का आयोजन किया जाता है।
- इस दिन पवित्र स्थलों का दर्शन करना अत्याधिक शुभ माना जाता है।
- बसंत पंचमी का त्यौहार गुजरात राज्य में गरबा नृत्य के साथ बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है इस त्यौहार को यहां के किसान बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं और गरबा नृत्य का आनंद लेते हैं।
- पंजाब प्रांत की बात की जाए तो पंजाब प्रांत में बसंत उत्सव के दिन पतंगबाजी का आयोजन किया जाता है जिस तरह धरती वसंत ऋतु पर रंग बिरंगी हो जाती है उसी तरह पंजाब राज्य में पतंग उत्सव पर आसमान में भी रंगों का संयोजन देखते बनता है।
- बसंत पंचमी का त्यौहार सिर्फ हिंदू ही नहीं इस्लाम धर्म में भी मनाया जाता है इस्लाम धर्म में सूफी त्योहार के नाम से मनाया जाता है।
- पश्चिम बंगाल में भी बसंत उत्सव के दिन नृत्य का आयोजन किया जाता है और इसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
- बसंत पंचमी का त्यौहार विद्यार्थियों और संगीतकारों के लिए अति महत्वपूर्ण होता है इसलिए यह सभी लोग इस त्यौहार को बड़े आनंद से मनाते हैं।
- बसंत पंचमी के लिए एक विशेष धारणा प्रचलित है कि हमारी हथेली में माता सरस्वती का वास होता है इसलिए प्रातः जागने पर सर्वप्रथम अपनी हथेली का दर्शन करना चाहिए जिससे माता सरस्वती के दर्शन करने के बराबर माना जाता है।
- बसंत पंचमी के दिन शिक्षा से जुड़ी वस्तुओं का दान करने पर विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
बसंत पंचमी पर आधारित कुछ पौराणिक कथाएं
रामायण कथा
रामायण काल की कथा के अनुसार जब रावण माता सीता का अपहरण किया और अपहरण करके उन्हें वायु मार्ग से अपने साथ ले जाने लगा तब माता सीता ने अपने आभूषणों को एक-एक करके नीचे गिरा दिया था।
उन्हीं आभूषण के आधार पर भगवान श्री रामचंद्र माता सीता की खोज करते-करते दंडकारण्य पहुँचे। दंडकारण्य का वह क्षेत्र इन दिनों गुजरात और मध्य प्रदेश में फैला है। गुजरात के डांग जिले में वह स्थान है जहां शबरी मां का आश्रम है।
जहां पर उनकी भेंट माता शबरी से होती है माता शबरी श्री रामचंद्र जी को खाने के लिए अपने जुठे बेर दिये थे। उन्होंने ऐसा इसलिए किया था ताकि प्रभु श्री राम को भूल से वहां कहीं खट्टे बेर ना खिला दे। और प्रभु श्री राम यह जानते हुए भी कि यह सभी बैर जुठे है फिर भी उन्हें उससे बड़ी श्रद्धा भाव से ग्रहण किया।
ऐसा कहा जाता है कि जिस समय माता शबरी ने राम को खाने के लिए बैर दिये थे वह दिन बसंत पंचमी का दिन था। इसलिए आज भी इन स्थानों पर माता शबरी के मंदिरों में विशेष आयोजन किया जाता है और बसंत पंचमी के त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
ऐतिहासिक कथा
यदि भारत के इतिहास को देखा जाए तो भारत का इतिहास सूर वीरों से भरा पड़ा है। ऐसी ही एक कथा है पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गोरी की। (1192ई) की घटना है जब मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान पर आक्रमण किया तब वह 16 बार पृथ्वीराज चौहान से पराजित हुआ और पृथ्वीराज चौहान उसे प्रत्येक बार जीवनदान दिया परंतु जब मोहम्मद गोरी ने 17वीं बार आक्रमण तब वह वीजयी रहा।
परंतु इस बार मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज को अपना बंदी बना लिया और उन्हें वह अपने साथ अफगानिस्तान ले गया जहां पर उसने उन्हें कठोर दंड दिया और उनकी दोनों आंखें फोड़ दी इतना सब कुछ करने के बाद भी मोहम्मद गोरी को संतोष नही हुआ और उसमें पृथ्वीराज चौहान को मृत्युदंड देने का निश्चय किया।
मृत्युदंड देने से पहले मोहम्मद गौरी यह जानना चाहता था कि पृथ्वीराज चौहान शब्दभेदी बाण कैसे चला लेते हैं ( शब्दभेदी बाण वह कला है जिसमें ध्वनि के माध्यम से अपना लक्ष्य निर्धारित किया जाता है) यह देखने के लिए वह एक ऊंचे मचान पर बैठ गया और उसने पृथ्वीराज चौहान को बाण चलाने के लिए कहा।
तब पृथ्वीराज चौहान का दरबारी कवि जिसका नाम चंदबरदाई था उसने पृथ्वीराज चौहान को कविता के माध्यम से मोहम्मद गौरी की सही जगह और दूरी का अनुमान बता दिया और जैसे ही मोहम्मद गोरी ने एक तवे के माध्यम से ध्वनि की वैसे ही पृथ्वीराज चौहान मोहम्मद गोरी पर बाण चला कर उसकी हत्या कर दी उसके साथ ही उनका दरबारी कवि और पृथ्वीराज चौहान दोनों ने एक दूसरे को छुरा मारकर वीरगति को प्राप्त कर लिया।
यह बसंत पंचमी का ही दिन था जोकि इतिहास में अमर हो गया।
बसंत ऋतु में मनाए जाने वाले कुछ प्रमुख त्योहार
1 | तिल चतुर्थी |
2 | शष्ठिला एकादशी |
3 | मौनी अमावस्या |
4 | गुप्त नवरात्रि आरंभ |
5 | गणेश जयंती |
6 | वसंत पंचमी |
7 | नर्मदा जयंती, भानु सप्तमी |
8 | जया एकादशी |
9 | गुरु रविदास जयंती, ललिता जयंती, माघ पूर्णिमा |
10 | यशोदा जयंती |
11 | शबरी जयंती |
12 | जानकी जयंती |
13 | विजिया एकादशी |
14 | शिवरात्रि |
15 | होली |
16 | रंग पंचमी |
17 | पाप मोचिनी एकादशी |
18 | गुड़ी पड़वा |
19 | कामदा जयंती |
बसंत पंचमी पर आयोजित किए जाने वाले कुछ प्रमुख मेले
वैद्यनाथ मेला
बाबा बैजनाथ बिहार राज्य के जसीडीह जिले में आयोजित किया जाता है जिसे बैजनाथ धाम भी कहा जाता है।
दाता करीम शाह का मेला
दाता करीम शाह का मेला उत्तर प्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिले के शिव भवानीपुर गांव में आयोजित किया जाता है यह मेला बसंत उत्सव में मनाए जाने वाले मेलों में सबसे बड़ा मेला होता है यह मेला बसंत पंचमी के दिन से शुरू होकर लगातार एक महीने तक चलता है इस मेले में सिर्फ वहां के स्थानीय लोग ही नहीं बल्कि बहुत दूर दराज क्षेत्रों से भी लोग इस मेले को देखने के लिए आते हैं।
- प्रयागराज का बसंत मेला
- शिव की नगरी काशी का मेला आदि।
FAQ
बसंत पंचमी का त्यौहार कब है?
5 फरवरी 2022
सरस्वती पूजा कब है?
5 फरवरी 2022
बसंत ऋतु का त्यौहार क्यों मनाया जाता हैं?
ऐसी मान्यता है कि इस दिन ऋतुराज वसंत का आगमन होता है
बसंत पंचमी को लोग क्या करते हैं?
इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है और उत्सव मनाया जाता है
इसे भी पढ़ें
गुजरात में मकर संक्रांति का त्यौहार कैसे मनाया जाता है |