धनतेरस क्यों मनाई जाती है
जानिए धनतेरस क्यों मनाई जाती है पौराणिक कथा के अनुसार जब समुद्र मंथन हुआ था तो उसमें से भगवान धन्वंतरि अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे। भगवान धन्वंतरि को विष्णु भगवान का अंश माना जाता है। इसी कारण धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। भगवान धन्वंतरि के अमृत कलश लेकर प्रकट होने के कारण लोग इस दिन बर्तन खरीदते हैं और घर में पूजन करते हैं।
कार्तिक माह की कृष्ण त्रयोदशी पक्ष को धनतेरस कहते हैं। यह त्योहार दीपावली आने से पहले मनाया जाता है। इस दिन नए बर्तन की खरीदी करना शुभ माना जाता है। धनतेरस के दिन मृत्युलोक के देवता यमराज और भगवान धन्वंतरि की पूजा का विशेष महत्व होता है।
धनतेरस पौराणिक कथा
भारतीय संस्कृति में स्वास्थ्य को प्रथम स्थान धन से ऊपर माना गया है। यह कहावत आज भी प्रचलित है कि ‘पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में माया’ अर्थात (पहला सुख स्वस्थ शरीर का होना और दूसरा सुख घर में धन संपदा का होना) जोकि भारतीय संस्कृति के अनुरूप से बिल्कुल सही है।
शास्त्रों में वर्णित कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत का कलश लिए प्रकट हुए थे। मान्यता अनुसार भगवान धन्वंतरि विष्णु जी के अंश अवतार हैं। संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ही धन्वंतरि अवतार में प्रकट हुए थे। भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने के कारण ही धनतेरस का पावन त्योहार मनाया जाता है।
धनतेरस पूजा विधि
धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि और धन के देवता कुबेर माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा का विशेष प्रावधान है ऐसा माना जाता है कि इस दिन पूजा करने से धन संपदा और स्वास्थ्य में देवताओं का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है विस्तार से जानते हैं धनतेरस के दिन पूजा विधि के बारे में
- सर्वप्रथम नित्य कार्यों से निवृत होकर स्नान करके अपने आप को पवित्र करें
- पूजा स्थल पर आसान लगाए
- भगवान धन्वंतरि धन के देवता कुबेर माता लक्ष्मी और गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करें
- देवताओं को स्थापित करने के लिए लाल चौकी का आसन लगाएं
- गंगाजल का छिड़काव करें
- धूप दीप प्रज्वलित करके सभी देवताओं की पूजा अर्चना करें
- यदि हो सके तो पूजा स्थल पर चांदी के सिक्के जिसमें गणेश और लक्ष्मी की प्रतिमा हो उसे भी पूजा स्थल पर रखें।
- भगवान धन्वंतरि और कुबेर मंत्र का जाप करें
- तत्पश्चा सभी देवताओं को प्रसाद का भोग लगाएं
धनतेरस मंत्र हिंदी
धनतेरस के दिन धन्वंतरी भगवान के मंत्र का जाप करना चाहिए इसके साथ ही कुबेर जो कि धान के देवता हैं उनके भी मंत्र का जाप करने चाहिए।
- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥
- ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥
- ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये, धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥
धनतेरस का शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। इस साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 10 नवंबर को दोपहर 12:35 मिनट से आरंभ हो जाएगी। इस त्रयोदशी तिथि का समापन 11 नवंबर को दोपहर 01:57 मिनट पर होगा। उदया तिथि के आधार पर धनतेरस का त्यौहार 10 नवंबर को प्रदोषकाल में मनाया जाएगा।
धनतेरस पर क्या खरीदें
धनतेरस से दिवाली पर्व की शुरुआत मानी जाती है। दिवाली पर 5 दिनों तक चलने वाले पर्व में सबसे पहले दिन धनतेरस, दूसरे दिन नरक चतुर्दशी, तीसरे दिन दिवाली, चौथे दिन गोवर्धन पूजा और पांचवें दिन भैया दूज का पर्व मनाया जाता है। धनतेरस को पूरे वर्ष भर में पड़ने वाले सभी श्रेष्ठ मुहूर्तों में से एक माना जाता है। धनतेरस पर शुभ कार्य करने और शुभ खरीदी करना बहुत ही शुभ माना जाता है। धनतेरस पर सोने -चांदी के आभूषण और बर्तन खरीदने की परंपरा है। इसके अलावा धनतेरस पर कार, बाइक, जमीन-जायदाद और कपड़े की खरीदारी करना बेहद शुभ माना जाता है।
धनतेरस FAQ
धनतेरस 2023 शुभ मुहूर्त क्या है?
10 नवंबर 2023 दोपहर 12:35 से 11 नवंबर दोपहर 1:57 तक
धनतेरस पर क्या-क्या खरीदें?
धनतेरस के दिन सोने चांदी के आभूषण,प्रॉपर्टी , वाहन आदि चीजों की खरीदारी को शुभ माना जाता है।
धनतेरस पर किसकी पूजा की जाती है?
धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि, धन के देवता कुबेर, माता लक्ष्मी, गणेश जी और मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है।
धनतेरस क्यों मनाई जाती है?
समुद्र मंथन में भगवान धन्वंतरि अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे आयुर्वेद का देवता माना जाता है और तभी से धनतेरस मनाई जाती है।
धन्वंतरी भगवान को किसका अवतार माना जाता है?
धन्वंतरी भगवान को विष्णु जी का अवतार माना जाता है।