ancestors of lord shri ram | भगवान श्री राम के पूर्वज | भगवान श्री राम के वंशज | भगवान श्री राम पिता पुत्र और पत्नी के नाम
क्या आप जानते हैं प्रभु श्री राम के पूर्वजों (ancestors of lord shri ram)के बारे में जिसे आज तक आपने नहीं पढ़ा कि प्रभु श्री राम के पूर्वज कौन कौन थे विस्तार से जानें
भगवान राम के बारे में तो सभी लोग जानते हैं जो कि विष्णु जी के अवतार थे इसके साथ ही आपने उनके पुत्रों और भाइयों के बारे में भी पढ़ा होगा परंतु क्या कभी आपने सोचा है कि भगवान श्री राम की वंशावली क्या है हमारे प्रभु श्री राम के पूर्वज कौन-कौन हैं। प्रभु श्री राम के वंश की शुरुआत कहां से हुई
भगवान राम के पूर्वज के नाम निम्नवत हैं
| क्रम | भगवान श्री राम की वंशावली |
|---|---|
| 1 | ब्रह्मा जी से मरीचि |
| 2 | मरीचि के पुत्र कश्यप |
| 3 | कश्यप के पुत्र विवस्वान |
| 4 | विवस्वान के वैवस्वत मनु |
| 5 | वैवस्वतमनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु |
| 6 | इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि |
| 7 | कुक्षि के पुत्र विकुक्षि |
| 8 | विकुक्षि के पुत्र बाण |
| 9 | बाण के पुत्र अनरण्य |
| 10 | अनरण्य के पृथु |
| 11 | पृथु के त्रिशंकु |
| 12 | त्रिशंकु के पुत्र धुन्धुमार |
| 13 | धुन्धुमार के पुत्र युवनाश्व |
| 14 | युवनाश्व के पुत्र मान्धाता |
| 15 | मान्धाता के सुसन्धि |
| 16 | सुसन्धि के दो पुत्र ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित |
| 17 | ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत |
| 18 | भरत के पुत्र असित |
| 19 | असित के पुत्र सगर |
| 20 | सगर के पुत्र असमंज |
| 21 | असमंज के पुत्र अंशुमान |
| 22 | अंशुमान के पुत्र दिलीप |
| 23 | दिलीप के पुत्र भगीरथ |
| 24 | भागीरथ के पुत्र ककुत्स्थ |
| 25 | ककुत्स्थ के पुत्र रघु |
| 26 | रघु के पुत्र प्रवृद्ध |
| 27 | प्रवृद्ध के पुत्र शंखण |
| 28 | शंखण के पुत्र सुदर्शन |
| 29 | सुदर्शन के पुत्र अग्निवर्ण |
| 30 | अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग |
| 31 | शीघ्रग के पुत्र मरु |
| 32 | मरु के पुत्र प्रशुश्रुक |
| 33 | प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष |
| 34 | अम्बरीष के पुत्र नहुष |
| 35 | नहुष के पुत्र ययाति |
| 36 | ययाति के पुत्र नाभाग |
| 37 | नाभाग के पुत्र अज |
| 38 | अज के पुत्र दशरथ |
| 39 | दशरथ के चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न |
| 40 | भगवान राम के दो पुत्र लव, कुश |
वैवस्वत मनु
वैवस्वत मनु विवस्वान के पुत्र थे और इनके ही राज्य काल के समय ही पृथ्वी पर जल प्रलय हुईं थी उस समय पूरी पृथ्वी जल मगन हो गई थी।
इक्ष्वाकु
वैवस्वतमनु के दस पुत्रों में से एक पुत्र इक्ष्वाकु थे महाराज इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुल की स्थापना की | जिसे इक्ष्वाकु वंश के नाम से भी जाना जाता है।
भागीरथ
महाराज भागीरथ ने घनघोर तपस्या करके मां गंगा को पृथ्वी पर अवतरित किया और अपने पूर्वजों को मुक्ति प्रदान करवाई भागीरथ की तपस्या के कारण ही आज मां गंगा पृथ्वी पर विराजमान है और मनुष्य को पाप मुक्त कर रही हैं।
रघु
ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए महाराज रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी राजा होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया तब से इस कुल को रघुकुल भी कहा जाता है। रघुकुल के बारे में एक बात बहुत प्रसिद्ध है की
रघुकुल रीत सदा चली आई प्राण जाए पर वचन न जाई
श्री राम 108 नाम
| क्रम | प्रभु श्री राम के 108 नाम |
|---|---|
| 1 | ऊँ श्री राजीव लोचनाय नम: |
| 2 | ऊँ श्री रामाया नम: |
| 3 | ऊँ श्री रामभद्राय नम: |
| 4 | ऊँ श्री राजेन्द्राय नम: |
| 5 | ऊँ श्री जानकी पतये नम: |
| 6 | ऊँ श्री परमेश्वराय नम: |
| 7 | ऊँ श्री जनार्दनाय नम: |
| 8 | ऊँ श्री शत्रुजिते नम: |
| 9 | ऊँ श्री सर्वज्ञाय नम: |
| 10 | ऊँ श्री बालिमर्दनाय नम: |
| 11 | ऊँ श्री आत्मवते नम: |
| 12 | ऊँ श्री विश्वरुपाय नम: |
| 13 | ऊँ श्री कौसलेशाय नम: |
| 14 | ऊँ श्री विश्वकृते नम: |
| 15 | ऊँ श्री सत्यव्रताय नम: |
| 16 | ऊँ श्री परमधार्मिकाय नम: |
| 17 | ऊँ श्री लोकात्मने नम: |
| 18 | ऊँ श्री अनादये नम: |
| 19 | ऊँ श्री दयाकराय नम: |
| 20 | ऊँ श्री ब्रह्मण्याय नम: |
| 21 | ऊँ श्री हरये नम: |
| 22 | ऊँ श्री पुरातनाय नम: |
| 23 | ऊँ श्री हंसाय नम: |
| 24 | ऊँ श्री सुग्रीववरदाय नम: |
| 25 | ऊँ श्री चतुर्वाहवे नम: |
| 26 | ऊँ श्री स्मृति मते नम: |
| 27 | ऊँ श्री धीराय नम: |
| 28 | ऊँ श्री श्यामाय नम: |
| 29 | ऊँ श्री लक्ष्मणाग्रजाय नम: |
| 30 | ऊँ श्री शूराय नम: |
| 31 | ऊँ श्री आनन्दाय नम: |
| 32 | ऊँ श्री धनुर्वेदाय नम: |
| 33 | ऊँ श्री गुण श्रेष्ठाय नम: |
| 34 | ऊँ श्री दुर्ज्ञेयाय नम: |
| 35 | ऊँ श्री पूर्णाय नम: |
| 36 | ऊँ श्री अनन्त दृष्ट्ये नम: |
| 37 | ऊँ श्री धनुर्धराय नम: |
| 38 | ऊँ श्री गुणश्रेष्टाय नम: |
| 39 | ऊँ श्री महाकायाय नम: |
| 40 | ऊँ श्री विनीतात्मने नम: |
| 41 | ऊँ श्री तपस्वीशाय नम: |
| 42 | ऊँ श्री जनेश्वराय नम: |
| 43 | ऊँ श्री कल्पाय नम: |
| 44 | ऊँ श्री सर्वकामदाय नम: |
| 45 | ऊँ श्री पुरुषाय नम: |
| 46 | ऊँ श्री केशवाय नम: |
| 47 | ऊँ श्री हनुमतप्रभवे नम: |
| 48 | ऊँ श्री सत्यवादिने नम: |
| 49 | ऊँ श्री सुखदाय नम: |
| 50 | ऊँ श्री संसारोत्तमाय नम: |
| 51 | ऊँ श्री सीताशोक विनाशकृते नम: |
| 52 | ऊँ श्री पुण्डरीकाक्षाय नम: |
| 53 | ऊँ श्री मारीच मथनाय नम: |
| 54 | ऊँ श्री किरीटिने नम: |
| 55 | ऊँ श्री जन्मरहिताय नम: |
| 56 | ऊँ श्री सर्वगोचराय नम: |
| 57 | ऊँ श्री अनुत्तमाय नम: |
| 58 | ऊँ श्री गुणसागराय नम: |
| 59 | ऊँ श्री सदगतये नम: |
| 60 | ऊँ श्री उउपेन्द्राय नम: |
| 61 | ऊँ श्री गोविन्दाय नम: |
| 62 | ऊँ श्री रत्नगर्भाय नम: |
| 63 | ऊँ श्री वाचस्पतये नम: |
| 64 | ऊँ श्री जानकी बल्लभाय नम: |
| 65 | ऊँ श्री प्रीति वर्धनाय नम: |
| 66 | ऊँ श्री निरंजनाय नम: |
| 67 | ऊँ श्री जगन्नाथाय नम: |
| 68 | ऊँ श्री वसुदाय नम: |
| 69 | ऊँ श्री सिद्धिदाय नम: |
| 70 | ऊँ श्री शक्ति मते नम: |
| 71 | ऊँ श्री कमला पतये नम: |
| 72 | ऊँ श्री मत्स्य रुपाय नम: |
| 73 | ऊँ श्री नर नारायणाय नम: |
| 74 | ऊँ श्री व्यासाय नम: |
| 75 | ऊँ श्री पृत्थु नम: |
| 76 | ऊँ श्री दत्तात्रेयरुपाय नम: |
| 77 | ऊँ श्री उपेन्द्राय नम: |
| 78 | ऊँ श्री मोहनी रुपाय नम: |
| 79 | ऊँ श्री पर्जन्याय नम: |
| 80 | ऊँ श्री राक्षसान्त कृते नम: |
| 81 | ऊँ श्री दिव्ययुधधराय नम: |
| 82 | ऊँ श्री जनकप्रिय कृते नम: |
| 83 | ऊँ श्री सूक्ष्माय नम: |
| 84 | ऊँ श्री अच्युताय नम: |
| 85 | ऊँ श्री निर्लेपाय नम: |
| 86 | ऊँ श्री सर्वव्यापिने नम: |
| 87 | ऊँ श्री वर्णश्रेष्ठाय नम: |
| 88 | ऊँ श्री सुखप्रदाय नम: |
| 89 | ऊँ श्री देवाधिदेवाय नम: |
| 90 | ऊँ श्री शांगपाणये नम: |
| 91 | ऊँ श्री पितृभक्ताय नम: |
| 92 | ऊँ श्री मुनिसेविताय नम: |
| 93 | ऊँ श्री कलानिधये नम: |
| 94 | ऊँ श्री भवभंज्जनाय नम: |
| 95 | ऊँ श्री सहस्त्रपदे नम: |
| 96 | ऊँ श्री अधर्म शत्रुवे नम: |
| 97 | ऊँ श्री हिरण्यगर्भाय नम: |
| 98 | ऊँ श्री शिवपूजारलाय नम: |
| 99 | ऊँ श्री भवानी प्रियकृते नम: |
| 100 | ऊँ श्री नीललोहिताय नम: |
| 101 | ऊँ श्री कलाधराय नम: |
| 102 | ऊँ श्री सुलभाय नम: |
| 103 | ऊँ श्री पापनाशकृते नम: |
| 104 | ऊँ श्री चतुर्वर्गफलाय नम: |
| 105 | ऊँ श्री परमार्थ गुरवे नम: |
| 106 | ऊँ श्री मधूसूदनाय नम: |
| 107 | ऊँ श्री भूवनेश्वराय नम: |
| 108 | ऊँ श्री प्रीतिवर्धनाय नम: |
भगवान श्री राम के पिता पुत्र और पत्नी के नाम
- पिता – राजा दशरथ
- माता – कौसिल्या
- पत्नी – माता सीता
- पुत्र – लव और कुश है
- भाई – लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न
FAQ
भगवान राम के पिता का क्या नाम था?
भगवान राम के पिता का नाम राजा दशरथ था।
राजा दशरथ के कितनी रानियां थीं?
राजा दशरथ के तीन रानियां थीं कौशल्या, सुमित्रा और कैकेई
भगवान राम किस वंश के राजा थे?
भगवान राम सूर्यवंशी राजा थे।
श्री राम के पूर्वज (ancestors of lord shri ram) कौन थे?
श्री राम कहा के राजा थे?
श्री राम अयोध्या के राजा थे।

