chhath puja vidhi pdf | छठ पूजा कब मनाई जाती है
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा का त्योहार मनाया जाता है। इस पर्व को चार दिनों तक लगातार मनाया जाता है और छठी मैय्या से संतान की रक्षा के लिए प्रार्थना की जाती है। यह त्योहार मुख्यत: बिहार,झारंखड और उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्र में बडी धूम धाम से मनाया जाता है। छठ पूजा में विशेष रूप से सूर्यदेव की पूजा की जाती है। जिसमें उगते सूर्य और बाद में डूबते सूर्य को भी जल (अर्घ्य) दिया जाता है।
छठ पूजा की शुरुआत षष्ठी तिथि से दो दिन पूर्व चतुर्थी से शुरू हो कर सप्तमी तक कि जाती है जो कि इस बार 17 नवंबर 2023 दिन शुक्रवार को है। चतुर्थी को नहाय-खाय है नहाय-खाय के दिन लोग घर की साफ-सफाई करते हैं और स्वयं को पवित्र करके पूरे दिन सात्विक आहार ग्रहण करते हैं। इसके बाद पंचमी तिथि को खरना शुरू होता है जिसमे व्रती को दिन में व्रत करके शाम को सात्विक आहार जैसे- गुड़ की खीर,कद्दू की खीर आदि लेना होता है। छठ के इस त्यौहार पर घर पर माताएं बहने विभिन्न प्रकार के सात्विक व्यंजन भी बनाती हैं पंचमी को खरना के साथ लोहंडा भी होता है जो सात्विक आहार से जुड़ा है।
छठ पूजा की कथा | छठ पूजा क्यों मनाई जाती है
पौराणिक कथा के अनुसार राजा प्रियवद को कोई भी संतान नहीं थी तब महर्षि कश्यप ने पुत्रेष्टि यज्ञ का अनुष्ठान कराकर उनकी पत्नी मालिनी को यज्ञाहुति के लिए बनाई गई खीर प्रदान की इसके प्रभाव से उन्हें पुत्र हुआ परंतु वह मृत पैदा हुआ। प्रियवद पुत्र को लेकर श्मशान चले गए और वहा पर पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे। उसी वक्त भगवान की मानस कन्या देवसेना प्रकट हुई और कहा कि मैं सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूं। राजन आप मेरा पूजन करो और लोगों को भी प्रेरित करो। राजा ने पुत्र इच्छा से देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुई थी।
मूलतः सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण ही इसे छठ कहा गया है। यह त्यौहार वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में। चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ तथा कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी को मनाए जाने वाले पर्व को कार्तिकी छठ कहा जाता है। पारिवारिक सुख-समृद्धि तथा मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए यह पर्व विशेष रूप से मनाया जाता है।
इस पर्व को स्त्री और पुरुष दोनों समान रूप से मनाते हैं। छठ पूजा चार दिवसीय उत्सव है। इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को तथा समाप्ति कार्तिक शुक्ल सप्तमी को होती है। इस दौरान व्रत धारण करने वाले लगातार 36 घंटे का व्रत रखते हैं। इस दौरान वे जल भी ग्रहण नहीं करते हैं।
छठ पर्व बांस निर्मित सूप, टोकरी, मिट्टी के बरतनों, गन्ने के रस, गु़ड़, चावल और गेहूं से निर्मित प्रसाद और सुन्दर मधुर लोकगीतों से युक्त होकर लोक जीवन की भरपूर मिठास का प्रसार करता है। यह मुख्य रूप से पूर्वी भारत के बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जानें वाला त्यौहार है। जिसकी ख्याति धीरे-धीरे पूरे भारतवर्ष में फैल रही हैं षष्ठी को मनाया जाने वाला छठ पूजा का त्यौहार सूर्य उपासना का अनुपम लोकपर्व है। New webduniya के अनुसार कुछ अन्य लोक कथाएं
छठ पूजा विधि मंत्र सहित pdf | chhath puja vidhi
- छठ पर्व में मंदिर में पूजा नहीं की जाती है और ना ही घर में साफ-सफाई किया जाता है।
- पर्व से दो दिन पूर्व चतुर्थी पर स्नान आदि से निवृत्त होकर भोजन कर लिया जाता है।
- पंचमी को व्रत करके संध्याकाल के समय किसी तालाब या नदी में स्नान करके सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया जाता है।
- तत्पश्चात अलोना (बिना नमक के) भोजन किया जाता है।
- षष्ठी के दिन प्रात:काल स्नानादि के बाद संकल्प लिया जाता है। संकल्प लेते समय इन मंत्रों का उच्चारण करते हैं।
- ॐ अद्य अमुक गोत्रो अमुक नामाहं मम सर्व पापनक्षयपूर्वक शरीरारोग्यार्थ श्री सूर्यनारायणदेवप्रसन्नार्थ श्री सूर्यषष्ठीव्रत करिष्ये।
- पूरा दिन निराहार और निर्जला रहकर पुनः नदी या तालाब पर जाकर स्नान किया जाता है और सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है।
- अर्घ्य देने की भी एक विधान है। एक बांस के सूप में केला एवं अन्य फल, अलोना प्रसाद, पत्तियों सहित ईख आदि रखकर उसे पीले वस्त्र से ढंक देते है।
- तत्पश्चात दीप जलाकर सूप में रखें और सूप को दोनों हाथों में लेकर इस मंत्र का उच्चारण करते हुए तीन बार अस्त होते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें।
छठ पूजा मंत्र pdf
पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसी मान्यता है कि जो भी व्रत धारण करने वाली महिला कुछ विशेष मंत्रों के उच्चारण के साथ संध्या अर्घ्य देती है। उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। आईए जानते हैं छठ पूजा पर कुछ विशेष मित्रों के बारे में
सूर्यदेव मंत्र
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीदमम् भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते।।
सूर्यदेव आराधना मंत्र –
ॐ सूर्य आत्मा जगतस्तस्युषश्च
आदित्यस्य नमस्कारं ये कुर्वन्ति दिने दिने।
छठ पूजा मंत्र
- ॐ मित्राय नम:
- ॐ रवये नम:
- ॐ सूर्याय नम:
- ॐ भानवे नम:
- ॐ खगाय नम:
- ॐ घृणि सूर्याय नम:
- ॐ पूष्णे नम:
- ॐ हिरण्यगर्भाय नम:
- ॐ मरीचये नम:
- ॐ आदित्याय नम:
- ॐ सवित्रे नम:
- ॐ अर्काय नम:
- ॐ भास्कराय नम:
- ॐ श्री सवितृ सूर्य नारायणाय नम:
छठ पूजा का शुभ मुहूर्त
नहाय-खाय, खरना और छठ पूजा शुभ मुहूर्त
व्रत | तारीख | दिन |
---|---|---|
नहाय खाय | 05 नवंबर 2024 | मंगलवार |
खरना | 06 नवंबर 2024 | बुधवार |
छठ पूजा 2024 संध्या अर्घ्य | 07 नवंबर 2024 | गुरुवार |
उगते सूर्य को अर्घ्य | 08 नवंबर 2024 | शुक्रवार |
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छठ पूजा FAQ
छठ पूजा कहा-कहा मनाई जाती है?
छठ पूजा का त्यौहार भारत के पूर्वी राज्यों बिहार, झारखंड ,उत्तर प्रदेश के अलावा विदेशों में भी कुछ जगहों पर यह त्यौहार मनाया जाता है।
छठ पूजा का त्यौहार किस देवता को समर्पित है?
छठ पूजा का त्यौहार सूर्य भगवान को समर्पित है।
छठ पूजा का त्यौहार कितने दिन मनाया जाता है?
छठ पूजा का त्योहार मुख्य रूप से चार दिन मनाया जाता है परंतु कुछ लोग इसे दो दिन भी मानते हैं।
छठ पूजा का त्यौहार किस लिए मनाया जाता है?
छठ पूजा का त्योहार माताएं अपने पुत्र के सौभाग्य और उसकी मंगल कामना के लिए मानती हैं जिसे स्थानीय भाषा में लड़कों का त्यौहार भी कहा जाता है।
छठ पूजा कितनी तारीख को है?
छठ पूजा इस वर्ष 05 से 08 नवंबर 2024 तक हैं।